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गुमनाम ही सही मैं,
बदनाम ही सही मैं,
पर नज़रों में अपनी एक इंसान तो हूँ मैं,
हो रहा मुश्किलों से,
मैं दूर मंजिलों से,
पर तूफां में भी जिन्दा एक अरमान तो हूँ में,
बन जाऊं मैं सहारा,
ले लूँ गम मैं सारा,
जिसको भी दुनिया मे बेअमा देखूं,
मिटा दूँ मैं अँधेरा,
खवाब है ये मेरा,
दे दूँ जबां उसको जिसे मैं बेजुबां देखूं,
माना बहुत गम है,
जिन्दगी मेरी कम है,
पर मिट ना सकेगी वो मुस्कान तो हूँ मैं,
दुनिया के हर सितम को,
जो अपने रंजो-गम को,
दिल की कोठरी में दफना नहीं सकता,
जो डरता है धारों से,
चलता है किनारों पे,
वो सुख की जन्नत को कभी पा नहीं सकता,
रोने लगे जमाना,
इस तरह मुस्कुराना,
"गमेदिल" गुलिस्तां का सुल्तान तो हूँ मैं,
पर नज़रों मे अपनी एक इंसान तो हूँ मैं...........................
Manish "गमेदिल"
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2 comments:
माना बहुत गम है,
जिन्दगी मेरी कम है,
पर मिट ना सकेगी वो मुस्कान तो हूँ मैं,
achchi lagi ye panktiyan...ye muskaan banaye rakhiye
Thanks for your valuable comments "Manish Ji".....
Gumedil se muskurahat ki ummeed .........
acchha laga.......
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