भारत के वीर सेनानी, तू अभी भी सो रहा है,
देख भारत रो रहा है, देख भारत रो रहा है;
अब भी चहुं-ओर अँधियारा है,
मानवता ने हमे पुकारा है,
कहाँ गए वो देश भक्त,
जो कहते देश हमारा है,
क्या भारत कोख में अपनी कायरों को ढो रहा है?
देख भारत रो रहा है;
जागो! देख हिमालय को,
जो जड़ों को अपनी खोल रहा है,
जो धोता रहा पैर हमारे;
आज हमी से बोल रहा है,
क्यों भारत के दामन मैं तू काँटों को बो रहा है,
देख भारत रो रहा है;
विश्व को जिसने संभाला,
आज वो पीछे क्यों है?
जिसने छुआ आसमां पहले,
आज वो नीचे क्यों है?
देश को रोशन जो करता वो सितारा खो रहा है,
देख भारत रो रहा है;
स्वार्थ का चोला हटाकर,
एक प्रण निश्चित करना है,
खुद को बदलकर आज हमें,
देश को विकसित करना है,
ए! मेरे भारत के वीरों देश पीछे हो रहा है;
देख भारत रो रहा है;
Manish "गमेदिल"
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8 comments:
स्वार्थ का चोला हटाकर,
एक प्रण निश्चित करना है,
खुद को बदलकर आज हमें,
देश को विकसित करना है,
ए! मेरे भारत के वीरों देश पीछे हो रहा है;
देख भारत रो रहा है;
Bahut khoob!
विश्व को जिसने संभाला,
आज वो पीछे क्यों है?
जिसने छुआ आसमां पहले,
आज वो नीचे क्यों है?
देश को रोशन जो करता वो सितारा खो रहा है,
देख भारत रो रहा है;
Bahut sundar alfaaz!
सत्य कथन... दुश्मन हमारा जाग रहा है
रच रहा है नित नये षडयंत्र
और भारत है कि
सो रहा है
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
Shama, kshama, Shashank and ajay,,,,, thanks for your's valuable comments.
मनीष, चाहते हुये भी आप से सहमत नहीं हो पा रहा हूं। जो सेनानी है वो सो नहीं रहा है और जो सो रहा है वो सेनानी तो नहीं ही है।
satya wachan, tu to poet ban gaya yaar
bahot hi achha poem hai
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