देख भारत रो रहा है.....

on Thursday, January 28, 2010

भारत के वीर सेनानी, तू अभी भी सो रहा है,
देख भारत रो रहा है, देख भारत रो रहा है;

अब भी चहुं-ओर अँधियारा है,
मानवता ने हमे पुकारा है,
कहाँ गए वो देश भक्त,
जो कहते देश हमारा है,
क्या भारत कोख में अपनी कायरों को ढो रहा है?
देख भारत रो रहा है;

जागो! देख हिमालय को,
जो जड़ों को अपनी खोल रहा है,
जो धोता रहा पैर हमारे;
आज हमी से बोल रहा है,
क्यों भारत के दामन मैं तू काँटों को बो रहा है,
देख भारत रो रहा है;

विश्व को जिसने संभाला,
आज वो पीछे क्यों है?
जिसने छुआ आसमां पहले,
आज वो नीचे क्यों है?
देश को रोशन जो करता वो सितारा खो रहा है,
देख भारत रो रहा है;

स्वार्थ का चोला हटाकर,
एक प्रण निश्चित करना है,
खुद को बदलकर आज हमें,
देश को विकसित करना है,
ए! मेरे भारत के वीरों देश पीछे हो रहा है;
देख भारत रो रहा है;

Manish "गमेदिल"

8 comments:

shama said...

स्वार्थ का चोला हटाकर,
एक प्रण निश्चित करना है,
खुद को बदलकर आज हमें,
देश को विकसित करना है,
ए! मेरे भारत के वीरों देश पीछे हो रहा है;
देख भारत रो रहा है;
Bahut khoob!

kshama said...

विश्व को जिसने संभाला,
आज वो पीछे क्यों है?
जिसने छुआ आसमां पहले,
आज वो नीचे क्यों है?
देश को रोशन जो करता वो सितारा खो रहा है,
देख भारत रो रहा है;
Bahut sundar alfaaz!

शशांक शुक्ला said...

सत्य कथन... दुश्मन हमारा जाग रहा है
रच रहा है नित नये षडयंत्र
और भारत है कि
सो रहा है

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

Manish Singh "गमेदिल" said...

Shama, kshama, Shashank and ajay,,,,, thanks for your's valuable comments.

संजय @ मो सम कौन... said...

मनीष, चाहते हुये भी आप से सहमत नहीं हो पा रहा हूं। जो सेनानी है वो सो नहीं रहा है और जो सो रहा है वो सेनानी तो नहीं ही है।

Unknown said...

satya wachan, tu to poet ban gaya yaar

Unknown said...

bahot hi achha poem hai

Post a Comment

Data Entry Work @ Home