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ख़ुशी की तलाश में जब मैं निकला,
हर गली हर मोड़ पे गम ही मिले हैं;
कुछ गम मे रोते मिले,
कुछ गम में हँसते मिले;
कुछ ने तो अपने आसूँ तक पिए हैं;
गम के छीटें किसी और पे ना पड़ जाए,
कुछ ने तो अपने जख्म तक सिये हैं;
अपना गम जब हद से गुजर गया,
तो कुछ शायर;
तो कुछ कातिल तक बने हैं.................
Manish "गमेदिल"
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"इन तेज हवाओं में दिया बुझता ना तो क्या करता,
दिल की राहों मे अजनबी बनता ना तो क्या करता,
जब कश्ती टूट गयी हो और जिन्दगी बे-साहिल हो;
तो खुदा से एक तूफां की दुआ करता ना तो क्या करता,
क्या बताऊँ तुम्हे सांप निकले हैं आस्तीनों से;
इस दुनिया में साए से लिपटता ना तो क्या करता,
पास कुछ भी ना रहा बस टूटे खवाबों के सिवा;
इन खिलोनों से "गमेदिल" बहलता ना तो क्या करता,
Manish Singh "गमेदिल"
Definition of Love...................
Posted by Manish Singh "गमेदिल" on Thursday, December 10, 2009.
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"प्रेम......................................................
भावना का एक बंधन है,
जिसमे लगे कोटि सुमन है,
इसका स्वर भी मनभावन है,
जो जोड़े अनेकों मानव मन है;
प्रेम..........................................................
विश्वास का ही नाम है,
सुख देना इसका काम है,
कडुवाहट को देता लगाम है,
सत्यता का दूसरा नाम है;
प्रेम............................................................
एक श्रधा है एक वादा है,
जिन्दगी को खूबसूरत बनाता है,
यह महज आकर्षण नही होता,
यह आत्म संतोष प्रदान करता है;
प्रेम............................................................
जीने की कल्पनाये दिखाता है,
प्राणों में प्रेरणा जगाता है,
रिश्तों मैं अनुराग बढ़ाता है,
जीवन के सपने सजाता है;
प्रेम.............................................................
एक कर्तव्य है ये रिश्तों का आधार है,
यह एक मोती है, जिससे बनता जीवन का हार है..........................
Manish "गमेदिल"
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भीड़ मे ज़माने की हाथ छूट जाते हैं,
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
बीते हुए लम्हों से जिन्दगी नही मिलती,
डूबते सूरज से जैसे रोशनी नहीं मिलती,
मतलबी ज़माने में खाक सब ख्वाब हुए;
और अब अंगारों से रवानगी नहीं मलती,
किस्मते-सितारे अक्सर रूठ जाते हैं;
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
हर घडी लोग यहाँ रंग बदला करते हैं,
बदगुमानी-आग में पल-पल जला करते हैं,
दुश्मनों के बारे में क्या बतलाऊँ तुम्हे;
'अपने' भी गैर बनके अब तो मिला करते हैं,
मंजिल से पहले ही कारवां लुट जाते है;
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
Manish "गमेदिल"