Broken Dream..........

on Thursday, December 17, 2009

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"इन तेज हवाओं में दिया बुझता ना तो क्या करता,

दिल की राहों मे अजनबी बनता ना तो क्या करता,

जब कश्ती टूट गयी हो और जिन्दगी बे-साहिल हो;

तो खुदा से एक तूफां की दुआ करता ना तो क्या करता,

क्या बताऊँ तुम्हे सांप निकले हैं आस्तीनों से;

इस दुनिया में साए से लिपटता ना तो क्या करता,

पास कुछ भी ना रहा बस टूटे खवाबों के सिवा;

इन खिलोनों से "गमेदिल" बहलता ना तो क्या करता,

Manish Singh "गमेदिल"

1 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

इस दुनिया में साए से लिपटता ना तो क्या करता,

पास कुछ भी ना रहा बस टूटे खवाबों के सिवा;

इन खिलोनों से "गमेदिल" बहलता ना तो क्या करता,

lajwaab...

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