.
भीड़ मे ज़माने की हाथ छूट जाते हैं,
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
बीते हुए लम्हों से जिन्दगी नही मिलती,
डूबते सूरज से जैसे रोशनी नहीं मिलती,
मतलबी ज़माने में खाक सब ख्वाब हुए;
और अब अंगारों से रवानगी नहीं मलती,
किस्मते-सितारे अक्सर रूठ जाते हैं;
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
हर घडी लोग यहाँ रंग बदला करते हैं,
बदगुमानी-आग में पल-पल जला करते हैं,
दुश्मनों के बारे में क्या बतलाऊँ तुम्हे;
'अपने' भी गैर बनके अब तो मिला करते हैं,
मंजिल से पहले ही कारवां लुट जाते है;
और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;
Manish "गमेदिल"
1 comments:
bahut khoob
Post a Comment