The World of Sorrow........

on Saturday, December 19, 2009

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ख़ुशी की तलाश में जब मैं निकला,
हर गली हर मोड़ पे गम ही मिले हैं;
कुछ गम मे रोते मिले,
कुछ गम में हँसते मिले;
कुछ ने तो अपने आसूँ तक पिए हैं;
गम के छीटें किसी और पे ना पड़ जाए,
कुछ ने तो अपने जख्म तक सिये हैं;
अपना गम जब हद से गुजर गया,
तो कुछ शायर;
तो कुछ कातिल तक बने हैं.................

Manish "गमेदिल"

4 comments:

Manish Kumar said...

आपकी इस गमगीन नज़्म को पढ़ कर जगजीत का गाया ये शेर याद आ रहा है
ग़म बढ़े चले आते हैं क़ातिल की निगाहों की तरह
तुम छुपा लो ऐ दोस्त मुझे गुनाहों की तरह

Manish Singh "गमेदिल" said...

आपकी खुबसूरत टिपण्णी के लिए "शुक्रिया"

स्वप्न मञ्जूषा said...

अपना गम जब हद से गुजर गया,
तो कुछ शायर;
तो कुछ कातिल तक बने हैं.................
waah kya baat hai..!!

Manish Singh "गमेदिल" said...

Sukriya Ada ji.......

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