Dreams are shattered...............

on Thursday, December 3, 2009

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भीड़ मे ज़माने की हाथ छूट जाते हैं,

और ख्वाब टूट जाते है;

ख्वाब टूट जाते है;

बीते हुए लम्हों से जिन्दगी नही मिलती,

डूबते सूरज से जैसे रोशनी नहीं मिलती,

मतलबी ज़माने में खाक सब ख्वाब हुए;

और अब अंगारों से रवानगी नहीं मलती,

किस्मते-सितारे अक्सर रूठ जाते हैं;

और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;

हर घडी लोग यहाँ रंग बदला करते हैं,

बदगुमानी-आग में पल-पल जला करते हैं,

दुश्मनों के बारे में क्या बतलाऊँ तुम्हे;

'अपने' भी गैर बनके अब तो मिला करते हैं,

मंजिल से पहले ही कारवां लुट जाते है;

और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;

Manish "गमेदिल"

1 comments:

Anonymous said...

bahut khoob

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